नई दिल्ली. पूरे देश में कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर एक औसत असर दिख सकता है, खासकर खपत पर, जो कि देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में सबसे बड़ा योगदान देता है। यह आंकलन केपीएमजी इंडिया ने लगाया है। केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक शहरी लेन-देन में मामूली कमी भी गैर जरूरी सामानों के खपत में कमी ला सकती है। हालांकि 21 दिनों के लॉक डाउन के दौरान यदि घरेलू आपूर्ति चैन बाधित होता है तो यह असर और ज्यादा दिख सकता है क्योंकि जरूरी कमोडिटी की उपलब्धता भी इससे प्रभावित हो सकती है।
कमजोर घरेलू खपत और कंज्यूमर सेंटीमेंट उनके निवेश में देरी करेगा, जो वृद्धि पर अतिरिक्त दबाव डालेगा। कोविड-19 के बाद कुछ अर्थव्यवस्थाओं के बारे में अनुमान है कि वे डी-रिस्किंग की रणनीति को अपनाएंगी और अपने निर्माण सुविधा को चीन से हटा लेंगी और यह रणनीति भारत के लिए एक अवसर के रूप में काम करेगी।
केपीएमजी इंडिया के चेयरमैन अरूण एम कुमार मुताबिक हालांकि यह अवसर इस पर निर्भर करेगा कि कितनी जल्दी अर्थव्यवस्थाओं में रिकवरी होती है और आपूर्ति सिस्टम कितना जल्दी सही तरीके से शुरू होता है। कमजोरों को सुरक्षा सिस्टम प्रदान करने के अलावा जिस पर फोकस करने की जरूरत है, उसमें प्रमुख रूप से रोजगार को सुनिश्चित करना और रोजगार का निर्माण करना मुख्य है। साथ ही यह भी जरूरी है कि जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने और रोजगार बढ़ाने के लिए रिसोर्सेस को जुटाया जाए।
डिजिटल इंडिया को देना होगा बढ़ावा
उन्होंने कहा कि ऐसे 3 तरीके हैं जिनसे यह सब कुछ किया जा सकता है। एक तो स्थानीयकरण किया जाए, दूसरा डिजिटल को बढ़ावा दिया जाए, तीसरा बिजनेस को कॉस्ट माडल की ओर ले जाया जाए। आपूर्ति चैन को भी सुधारना होगा। मांग, आपूर्ति और लिक्विडिटी को लेकर स्थिति इस समय और बिगड़ रही है क्योंकि कोविड-19 भी बढ़ रहा है। जब यह महामारी नियंत्रण में आ जाएगी, उस समय अमेरिका में रिकवरी तेजी से होगी और चीन वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी के लिए मुख्य चीजों पर फोकस करेगा।
जल्दी होगी भारत की अर्थव्यवस्था की रिकवरी
केपीएमजी की रिपोर्ट के अनुसार यह हमारा अनुमान है और इस समय भारत की अर्थव्यवस्था की रिकवरी कई अन्य एडवांस देशों की तुलना में तेजी से होगी। हालांकि भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर पिछले 6 सालों में 2019-20 की तीसरी तिमाही में न्यूनतम स्तर पर रही है। भारत की जीडीपी में तीन प्रमुख योगदान करनेवाले क्षेत्र हैं, जिसमें निजी खपत, निवेश और बाहरी कारोबार का समावेश है। यह सभी प्रभावित होंगे।