घाटी में पहली बार लॉकडाउन को अवाम का समर्थन, नवरात्रि के पहले दिन मां वैष्णोदेवी समेत सभी मंदिर बंद रहे


श्रीनगर से जफर इकबाल और जम्मू से मोहित कंधारी की रिपोर्ट. श्रीनगर के एक दुकानदार रफीक अहमद कहते हैं, "‘कोरोनावायरस को रोकने के लिए पूरी घाटी में लॉकडाउन है और यह जरूरी भी है। यह हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा मसला है। अगर हम अभी नहीं संभले तो फिर संभल भी नहीं पाएंगे।’’ रफीक की तरह ही श्रीनगर के एक ट्रांसपोर्टर मोहम्मद इब्राहिम कहते हैं, "‘देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन के फैसले के लिए हम प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद कहेंगे। इस स्थिति से निपटने के लिए इससे बेहतर कोई और विकल्प नहीं था।’’ रफीक और इब्राहिम की तरह घाटी में लगभग सभी लोग इस लॉकडाउन को सपोर्ट कर रहे हैं। यह पहली बार ही है, जब सरकार के किसी फैसले को लोगों का इस तरह साथ मिल रहा है।


90 के दशक में उग्रवाद बढ़ने के बाद से बीते 3 दशकों में कश्मीर ने कई लॉकडाउन देखे। पिछले साल 5 अगस्त को संविधान से आर्टिकल 370 हटने के बाद यहां 7 महीने तक लॉकडाउन रहा। कश्मीर के लोग इस तरह की स्थिति के आदी हो चुके हैं। ऐसे में कोरोनावायरस के लिए किए ग एइस लॉकडाउन से ज्यादा परेशान नहीं है। बुधवार को कश्मीर पूरी तरह लॉकडाउन दिखा। दुकानें, ऑफिस और गैरजरूरी हर सेवा या जगह बंद रही। प्रशासन सख्ती के साथ लोगों की आवाजाही रोकने के लिए लगा है। जम्मू-कश्मीर में न्यूजपेपर समेत 16 बेहद जरूरी सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद है। राज्य प्रशासन ने हाल ही में 14 अप्रैल तक सभी गैर जरूरी सरकारी कार्यालयों को भी बंद रखने का फैसला किया है।


घाटी ने 7 महीने का लॉकडाउन देखा, फिर ये तो कुछ नहीं


घाटी में लंबे समय से पत्रकारिता कर रहे आकिब बताते हैं, ‘‘हाल ही में कश्मीर ने सात महीने का लॉकडाउन देखा है। 21 दिन का लॉकडाउन यहां के लोगों के लिए ज्यादा परेशानी वाला नहीं है। घाटी के लोगों को सरकार के इस आदेश का पालन करना चाहिए।’’ 7 महीने बाद नजरबंदी से रिहा किए गए कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी अपने ट्वीट के जरिए लोगों से घरों में रहने की अपील की है।


नवरात्रि के पहले दिन सभी प्रमुख मंदिर बंद रहे
उधर, जम्मू में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सभी प्रमुख मंदिरों के दरवाजे बंद रहे। वैष्णोदेवी, रघुनाथ मंदिर, रणबिरेश्वर मंदिर और काली माता मंदिर में विशेष आरती के दौरान बस पुजारी ही मौजूद रहे। आमतौर पर हर साल इस दिन मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है, लेकिन इस बार ज्यादा सजावट नहीं की गई। इसी के साथ ही खाने-पीने की चीजों समेत बेहद जरूरी सामानों की दुकानें ही खुलीं, बाकी पूरा बाजार बंद है। कुछ इलाकों में लोगों की आवाजाही रोकने के लिए पुलिस ही सब्जी और दूध जैसी जरूरी चीजों की आपूर्ति कर रही है।


प्रशासन जरूरी सामान की आपूर्ति करवा रहा


जरूरी चीजों की आपूर्ति करने वाले कर्मचारी स्टाफ बस से लगातार इलाकों में चक्कर लगा रहे हैं। लोग प्रशासन के सभी नियमों का कड़ाई से पालन कर रहे हैं। जम्मू के ज्यादा भीड़भाड़ वाले पुराने इलाके में पुलिस लगातार गश्त कर रही है। 21 दिन के लॉकडाउन के ऐलान के बाद इन इलाकों में सामान इकट्ठा करने के लिए भीड़ उमड़ने लगी थी, इसके बाद इन जगहों पर तत्काल पुलिस भेजकर भीड़ को रोका गया।


घाटी के ज्यादातर इलाकों में बंद का अच्छा असर


जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा, उधमपुर, रामबन, डोडा, किश्तवाड़, राजौरी और पुंछ जिलों में भी लॉकडाउन का अच्छा असर रहा। यहां बाजार, दुकानें, कार्यालय सब बंद रहे। जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर भी महज जरूरी चीजों की सप्लाई कर रहे ट्रकों के आने-जाने की अनुमति दी गई।